| My Diary |

* काम कुछ ऐसा करो *


मुद्दतों पूरी ना हो सकी जो,

उस ग़रीब की दुआ बन जाओ।

छलकीं नहीं जो ग़मों के तूफ़ानों से अब तक,

उन नम आँखों के कुछ आँसू बन जाओ।

पूरा हो जाएगा वजूद तुम्हारा एक दिन जब,

मरकर भी किसी को ज़िंदा कर जाओ।

काम कुछ ऐसा करो की इंसान बन जाओ।


धर्मेन्द्र पाण्डेय

15th Dec 2022

Count #1

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